Friday, August 4, 2017

चलते रहिये, जनाब ... !!!

चलते रहिये, जनाब ... !!!


कुछ दबी हुई ख़्वाहिशें है,
कुछ मंद मुस्कुराहटें ,
कुछ खोए हुए सपने हैं
कुछ अनसुनी आहटें ...

कुछ दर्द भरे लम्हे हैं ,
कुछ सुकून भरे लम्हात.
कुछ थमें हुए तूफ़ाँ हैं ,
कुछ मद्धम सी बरसात.

कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ हैं
कुछ नासमझ इशारे ...
कुछ ऐसे मंझधार हैं ,
जिनके मिलते नहीं किनारे.

कुछ उलझनें है राहों में,
कुछ कोशिशें बेहिसाब.
बस इसी का नाम ज़िन्दगी है
चलते रहिये, जनाब ... !!!

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